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The hardcore reality of Corruption This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

The hardcore reality of Corruption

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 2021 में, भारत का रैंक, 180 देशों में 85वां था! और इसी सर्वे के अनुसार भारत, साल 2020 में एशिया का सबसे करप्ट देश रह चुका है! हम अक्सर कहते हैं कि सरकार क्रप्ट है, पब्लिक सेक्टर और नेता भ्रष्ट हैं! लेकिन सरकार चला कौन रहा है- अ ग्रुप ऑफ पीपल! पब्लिक और पॉलिटिकल सेक्टर में काम कौन कर रहा है- हम और आप जैसे, इंसान! तो वास्तव में भ्रष्टाचारी है, कौन? और आखिर भ्रष्टाचार की जड़ क्या है? भ्रष्टाचार 2 शब्दों से मिलकर बना है, भ्रष्ट यानी बुरा और आचार का मतलब है- आचरण। यानी वो बर्ताव, जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित है। इसकी फंडामेंटल डेफिनेशन की बात करें, तो अपने निजी स्वार्थ के लिए, पावर का मिसयूज करना ही, क्रप्शन है! यह पैसे, अपनी पोजिशन या किसी भी रूप में हो सकती है! एक्चुअल में भ्रष्टाचार, किसी के लिए लाचारी है और किसी के लिए एक गोल्डन चांस! एक समय था, जब गलत काम करवाने के लिए रिश्वत दी जाती थी, लेकिन अब गलत के साथ साथ, सही काम करवाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है, ताकि टाइम पर काम हो जाए! वास्तव में हमने, रिश्वत देना, स्वीकार कर लिया है! जैसे किसी से कोई काम करवाना हो, तो हम पहले से ही अंदाजा लगा लेते हैं, कि उस काम पर खर्च के अलावा, इतना अमाउंट हमें रिश्वत देनी पड़ेगी!

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सवाल यह उठता है कि आखिर भ्रष्टाचार के लिए, जिम्मेदार कौन है? ऐसा नहीं है कि घूसखोरी का यह चलन कुछ लोगों या एरिया तक सीमित है! एक सिंपल सा उदाहरण लेते हैं! आप एक सोसायटी में रहते हैं। और आपके घर पर काम करने वाली मेड, बाकी 5 घरों में भी, काम करती है। तो शायद आपने उसे एक्स्ट्रा पेमेंट या किसी और फेवर का लालच देकर, आपके घर का काम पहले करने के लिए कहा हो! या फिर सिक्योरिटी पर्सन से, अपना कोई पर्सनल काम करवाया हो? वास्तव में यह, ग्राउंड लेवल की क्रप्शन है। उदाहरण के लिए चुनावों में अरबों रुपयों का यूज, करप्शन है! फर्क सिर्फ इतना है कि ब्राॅड लेवल पर होने वाली करप्शन की तुलना में, हम अपनी रोजमर्रा की रूटीन के छोटे-छोटे फेवर को, भ्रष्टाचार, का हिस्सा नहीं मानते! याद रखें, सिर्फ पैसों का लेन-दे नही, रिश्वत नहीं! क्या कभी आपने, अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से किसी काम को करवाने के लिए कोई उपहार, सेवा नहीं ली या फिर डबल डीलिंग नहीं की? डबल डीलिंग का मतलब है- काम के बदले काम! चाहे वो फेवर छोटा हो या बड़ा, मायने सिर्फ यह रखता है कि - अपने लाभ के लिए, आप भी भ्रष्टाचार का हिस्सा बने! यह भ्रष्टाचार की शुरुआत है, जो धीरे -धीरे आदत बन जाती है! इसका कारण, गरीबी या शॉर्टकट लेकर जल्दी से जल्दी सक्सेसफुल होने की हमारी, आदत भी है! अपना हर काम, जल्दी करवाना चाहते हैं! यहां तक कि भगवान के दर्शन करने के लिए भी, रिश्वत दी जाती है, ताकि घंटों लाइन में खड़ा न रहना पड़े! अक्सर अस्पताल कर्मी, किसी पहचान वाले का जल्दी काम करवा देते हैं, इस भ्रष्टाचार को देखकर, आपको भी गुस्सा आया होगा! यानी अपने कंफर्ट की चाहत में, हम गलत-सही की परिभाषा भूल चुके हैं! भारत हर नागरिक से मिलकर बना है, और यह भारतवर्ष, जिन एथिक्स और मोरल वैल्यूज की बात करता हैं, आज वो हमें ही याद नहीं हैं! और यही कारण है कि भ्रष्टाचार जैसी कई बुराइयां, हमारी लाइफ का हिस्सा बन चुकी हैं! करप्शन का हिस्सा बनकर भी, हम इस सच को स्वीकार नहीं करते और यही हार्डकोर करप्शन है!

प्रिवेंशन आफ क्रप्शन एक्ट 1988 और लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 जैसे कई कानूनों के बाद, भी अगर, भारत में कप्शन खत्म नहीं हो रही, तो जाहिर सी बात है कि अपनी संस्कृति से हमारा दूर होना ही, तमाम बुराइयों की जड़ है! अगर कोई व्यक्ति खुद क्रप्ट है, तो वो दूसरों के क्रप्ट होने की सिर्फ उनकी पीठ पीछे, बातें ही कर सकता है! वो उनके खिलाफ खड़ा नहीं हो पाएगा! भगवत गीता में श्रीकृष्ण ने कहा था कि स्वार्थी इच्छा, न केवल हमारी इंद्रियों और मन पर, बल्कि हमारी बुद्धि पर भी कब्जा कर लेती है। और जो लोग भ्रष्टाचार और पाप करते हैं, वे ईश्वर से कहीं भी कनेक्ट नहीं हैं! द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से, मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि अच्छाई और संस्कारों के मामले में, भारत विश्व गुरु रहा है, अगर देश के सिर से भ्रष्टाचार के इस कलंक को मिटाना है, तो न ही खुद करप्शन का हिस्सा बनें और अगर, आपके सामने कोई रिश्वत लेता है, तो उसके खिलाफ आवाज उठाएं!